भारत विविध संस्कृतियों और कलाओं से परिपूर्ण देश है. यहाँ लगभग विश्व की सभी प्रतिभाएं पायी जाती हैं. अतः उनके प्रोत्साहन के लिए कई तरह के विविध सम्मानों और पुरस्कारों का अविर्भाव हुआ है. सिनेमा और साहित्य के विभिन्न स्तर पर विभिन्न पुरस्कारों को रखा गया है. यहाँ विभिन्न पुरस्कारों का वर्णन किया जा रहा है.
- भारतीय ज्ञानपीठ सम्मान : ज्ञानपीठ भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है. भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की स्थापना सन 1961 में साहू शान्तिप्रसाद जैन परिवार द्वारा हुई थी. यह देश के किसी भी ऐसे लेखक को मिल सकता है जो देश के 22 औपचारिक भाषाओं में से किसी भी भाषा में लिखता हो. साल 1982 से पहले ये सम्मान लेखक की किसी किताब को आधार बनाकर दिया जाता था, किन्तु इसी साल के बाद इस सम्मान के मापदंड बदल दिए गये और यह निर्णय लिया गया कि देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान होने की वजह से इसे किसी लेखक के जीवन भर के साहित्यिक योगदान को देखते हुए दिया जायेगा.
सम्मानित व्यक्ति को सम्मान के तौर पर ग्यारह लाख रूपए तथा स्मृति चिन्ह के तौर पर माँ सरस्वती की प्रतिकृति दी जाती है. बंगाली महिला उपन्यासकार आशापूर्णा देवी पहली साहित्यकार थीं, जिन्हें ये सम्मान उनके उपन्यास ‘प्रोथोम प्रतिश्रुति’ के लिए दिया गया, जिसे उन्होंने सन 1965 में लिखा था.
- मूर्तीदेवी सम्मान : मूर्तीदेवी सम्मान भी भारतीय ज्ञान पीठ द्वारा दिया जाने वाला साहित्यिक सम्मान है. मूर्तिदेवी, स्वर्गीय शांति प्रसाद जैन की माता का नाम था. उनकी स्मृति में ये सम्मान उन जीवित साहित्यकारों को दिया जाता है, जो साहित्य के क्षेत्र में मानव मूल्यों के और भारतीय धरोहर के दर्शन के तहत उत्कृष्ट काम कर रहे होते हैं. पुरस्कार पाने वाले को दो लाख रूपए, एक प्रशस्ति पत्र एक स्मृति चिन्ह तथा वाग्देवी की प्रतिमा दी जाती है.
- अंतररास्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी सम्मान (आईफा) : आइफा भारतीय सिनेमा क्षेत्र में दिया जाने वाला सम्मान है. सर्वप्रथम आइफा पुरस्कार का आयोजन साल 2000 में हुआ था. ये आयोजन लन्दन के मिलेनियम डोव में किया गया था. इस वर्ष के बाद प्रति वर्ष इस सम्मान का आयोजन विश्व के विभिन्न स्थानों में होता रहा है. विश्वस्तरीय आयोजन का एक मकसद बॉलीवुड का विश्व भर में प्रचार करना है. आइफा के ब्रांड एम्बेसडर अमिताभ बच्चन हैं. आइफा में फिल्मों में होने वाले विभिन्न कार्यों को देखते हुए सम्मान दिया जाता है. सिनेमेटोग्राफी, एडिटिंग, स्क्रीनप्ले, म्यूजिक, निर्देशन, अभिनय आदि विभिन्न कार्यों के लिए चयनित साल के सर्वश्रेष्ठ कार्यों को सम्मान दिया जाता है.
- दादा साहेब फाल्के अवार्ड : दादासाहेब फाल्के सम्मान किसी फिल्म कलाकार को भारतीय सिनेमा में जीवन भर के योगदान के लिए दिया जाता है. दादासाहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का जनक माना जाता है. यह सम्मान भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय फिल्म सम्मान समारोह में ‘डायरेक्टरेट ऑफ़ फिल्म फेस्टिवल्स’ की ओर से दिया जाता है. दादासाहेब को भारतीय सिनेमा का जनक कहा जाता है. दादासाहेब ने भारत की पहली फुल लेंग्थ फिल्म बनायी थी, जिसका नाम राजा हरिश्चंद्र था. इस वर्ष दादा साहेब फाल्के सम्मान जाने माने निर्देशक के विश्वनाथन को दिया गया. पुरस्कार में उन्हें एक सोने का कमल, प्रशस्ति पत्र, दस लाख रूपए, उद्धरण और शाल दिया गया.
- नवलेखन सम्मान : नवलेखन सम्मान देश के युवा लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय ज्ञानपीठ की तरफ़ से दिया जाता है. इस सम्मान में सम्मान प्राप्तकर्ता को माँ सरस्वती की मूर्ति स्मृति चिन्ह के तौर पर तथा कैश संस्था की तरफ से कैश प्राइज भी दिए जाते हैं.
- साहित्य अकादमी सम्मान : साहित्य अकादमी की स्थापना साल 1954 में भारत सरकार के द्वारा हुई थी. साहित्य अकादमी सम्मान देश के साहित्यकारों के लिए है, जिसमे साहित्यकारों को उनकी कृतियों पर सम्मान दिया जाता है. रचनाकार अपनी कृतियाँ भेजते हैं और अकादमी द्वारा उनका चयन होने पर रचनाकार को पुरस्कार दिया जाता है. पुरस्कार के तौर पर सरकार अकादमी की तरफ से एक लाख रूपए की पुरस्कार राशी, स्मृति चिन्ह और प्रशस्तिपत्र दिया जाता है. यह सम्मान देश के 22 औपचारिक भाषाओं में से किसी एक भाषा में किये गये रचनाओं के संकलन पर मिलता है.
- सरस्वती सम्मान : अन्य सम्मानों की तरह सरस्वती सम्मान भी एक वार्षिक सम्मान है, जो भारतीय लेखकों को उनके गद्य अथवा पद्य विधा में किये गये कार्यों को देख कर दिया जाता है. देश की 22 औपचारिक भाषाओँ में किसी भी एक भाषा में काम करने वाले लेखक को ये सम्मान प्राप्त हो सकता है. इस सम्मान का नाम विद्या की देवी माँ सरस्वती के नाम पर रखा गया है. सरस्वती सम्मान की स्थापना, के के बिरला ग्रुप ने साल 1991 में की थी. सम्मान के तहत विजेता साहित्यकार को 15 लाख रूपए की कैश प्राइज, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है.
Oscar (Academy) Award Winners In India History In Hindi ऑस्कर पुरस्कार हॉलीवुड के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह में से एक है, जो सालाना आयोजित किया जाता है. ऑस्कर अवार्ड जिसे अकैडमी अवार्ड भी कहते है, एक अमेरिकी अवार्ड्स फंशन है, जो “अकैडमी ऑफ़ मोशन पिक्चर आर्ट्स एवं साइंस” (AMPAS) द्वारा हर साल आयोजित किया जाता है. इस अवार्ड में यूनाइटेड स्टेट (US) की फिल्म इंडस्ट्री को सम्मानित किया जाता है. अलग अलग कैटेगरी के विजेताओं को अकैडमी अवार्ड की प्रतिमा की प्रति दी जाती है, जिसे सब ऑस्कर नाम से पुकारते है. ऑस्कर सबसे पुरानी मनोरंजक अवार्ड समारोह है. टीवी के अवार्ड ‘एमी अवार्ड’, थियेटर के अवार्ड ‘टोनी अवार्ड एवं म्यूजिक व रिकॉर्डिंग के अवार्ड ‘ग्रैनी अवार्ड’ ऑस्कर जितने ही पुराने है, ऑस्कर के आने के बाद इन्हें भी आधुनिक कर दिया गया. ऑस्कर अवार्ड का इंतजार हर साल पूरी दुनिया के लोगों को बेसब्री से होता है. यह सबसे चर्चित फ़िल्मी अवार्ड समारोह है.
ऑस्कर अवार्ड का इतिहास (Oscar Award History) –
पहले अकैडमी अवार्ड की शुरुवात 16 मई 1929 को हुई थी. यह हॉलीवुड रोसवैल्ट होटल में हुआ था, जो एक प्राइवेट डिनर पार्टी थी, जिसमें 270 के लगभग लोग शामिल हुए थे. तब इसके बारे में आम जनता को कुछ भी नहीं पता था. इसका आयोजन AMPAS द्वारा हुआ था. इसकी शुरुवात करने का उद्देश्य यही था कि मोशन पिक्चर इंडस्ट्री के प्रतिभागी कलाकारों को सम्मान देना था. पहले ऑस्कर अवार्ड में 12 कैटेगरी थी, जिसमें 2 स्पेशल सम्मान थे. यह अवार्ड उन लोगों को दिया गया था, जिन्होंने 1927-28 में हॉलीवुड में विशेष काम किया था. इस अवार्ड्स फंशन के विजेताओं के नाम समारोह के 3 महीने पहले ही सबके सामने आ गए थे. मुख्य समारोह में विजेताओं को ट्रोफी दी, यह सिर्फ 15 min की सेरेमनी थी. अकैडमी अवार्ड के पहले प्रेसिडेंट ‘डगलस फेयरबैंक्स’ थे.

पहला ऑस्कर अवार्ड, बेस्ट एक्टर के लिए ‘एमिल जन्निंग’ को फिल्म ‘दी लास्ट कमांड’ और ‘दी वे ऑफ़ आल फ़्लैश’ के लिए मिला था. बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड ‘जेनेट गय्नोर’ को फिल्म ‘7 हेवन’, ‘स्ट्रीट एंजेल’ और ‘सनराइज’ के लिए मिला था. डायरेक्शन के लिए 2 अवार्ड दिए गए थे, एक ड्रामा, जिसमें फ्रैंक बोर्ज़ागे और एक कॉमेडी पिक्चर जिसके लिए लेविस माइलस्टोन को अवार्ड मिला था.
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