जैन धर्म





 जैन शब्द का अर्थ : जैन शब्द जिन शब्द से बना है। जिन बना है 'जि' धातु से जिसका अर्थ है जीतना। जिन अर्थात जीतने वाला। जिसने स्वयं को जीत लिया उसे जितेंद्रिय कहते हैं।


 जैन तीर्थ : श्री सम्मेद शिखरजी (गिरिडीह, झारखंड), अयोध्या, कैलाश पर्वत, वाराणसी, तीर्थराज कुंडलपुर (महावीर जन्म स्थल), पावापुरी (महावीर निर्वाण स्थल), गिरनार पर्वत, चंपापुरी, श्रवणबेलगोला, बावनगजा (चूलगिरि), चांदखेड़ी, पालिताणा तीर्थ आदि।

 चौबीस तीर्थंकर : जैन परम्परा में क्रमश: चौबीस तीर्थंकर हुए हैं जिनके नाम निम्नलिखित हैं:- ऋषभ, अजित, संभव, अभिनंदन, सुमति, पद्मप्रभ, सुपार्श्व, चंद्रप्रभ, पुष्पदंत, शीतल, श्रेयांश, वासुपूज्य, विमल, अनंत, धर्म, शांति, कुन्थु, अरह, मल्लि, मुनिव्रत, नमि, नेमि, पार्श्वनाथ और महावीर। अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी

* जैन त्रिरत्न : सम्यक्‌दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः।
1. सम्यक्‌ दर्शन
 2. सम्यक्‌ ज्ञान और 
3. सम्यक्‌ चारित्र। 
उक्त तीनों मिलकर ही मोक्ष का द्वार खोलते हैं।


महावीर स्वामी : भगवान महावीर का जन्म 27 मार्च 598 ई.पू. को वैशाली गणतंत्र के कुंडलपुर के क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ के यहां हुआ। उनकी माता त्रिशला लिच्छवि राजा चेटकी की पुत्र थीं। भगवान महावीर ने सिद्धार्थ-त्रिशला की तीसरी संतान के रूप में चैत्र शुक्ल की तेरस को जन्म लिया।






(1) जैन धर्म के संस्थापक और पहले तीर्थंकर थे- ऋषभदेव.

(2) जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे- पार्श्वनाथ

(3) पार्श्वनाथ काशी के इक्ष्वाकु वंशीय राजा अग्रसेन के पुत्र थे.

(4) पार्श्वनाथ को 30 साल की उम्र में वैराग्य उत्पन्न हुआ, जिस कारण वो गृह त्यागकर संयासी हो गए.

(5) पार्श्वनाथ के द्वारा दी गई शिक्षा थी- हिंसा न करना, चोरी नृ करना, हमेशा सच बोलना, संपत्ति न रखना.

(6) महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर हैं.

(7) महावीर का जन्म 540 ई. पू. पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था.

(8) इनके पिता राजा सिद्धार्थ ज्ञातृक कुल के सरदार थे और माता त्रिशला लिच्छिवी राजा चेटक की बहन थीं.

(9) महावीर की पत्‍नी का नाम यशोदा और पुत्री का नाम अनोज्जा प्रियदर्शनी था.

(10) महावीर के बचपन का नाम वर्द्धमान था.

(11) महावीर का साधना काल 12 साल 6 महीने और 15 दिन का रहा. इस अवधि में भगवान ने तप, संयम और साम्यभाव की विलक्षण साधना की. इसी समय से महावीर जिन (विजेता), अर्हत (पूज्य), निर्ग्रंध (बंधनहीन) कहलाए.

(12) महावीर ने अपना उपदेश प्राकृत यानी अर्धमाग्धी में दिया.

(13) महावीर के पहले अनुयायी उनके दामाद जामिल बने.

(14) प्रथम जैन भिक्षुणी नरेश दधिवाहन की बेटी चंपा थी.

(15) महावीर ने अपने शिष्यों को 11 गणधरों में बांटा था.

(16) आर्य सुधर्मा अकेला ऐसा गंधर्व था जो महावीर की मृत्यु के बाद भी जीवित रहा.

(17) जैन धर्म दो भागों में विभाजित है- श्वेतांबर जो सफेद कपड़े पहनते हैं और दिगंबर जो नग्नावस्था में रहते हैं.

(18) भद्रबाहु के शिष्य दिगंबर और स्थूलभद्र के शिष्य श्वेतांबर कहलाए.

(19) दूसरी जैन सभा 512 में वल्लभी गुजरात में हुई.

(20) जैन धर्म के त्रिरत्न हैं- सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक आचरण.


21) जैन धर्म में ईश्‍वर नहीं आत्मा की मान्यता है.

(22) महावीर पुनर्जन्म और कर्मवाद में विश्वास रखते थे.

(23) जैन धर्म ने अपने आध्यात्मिक विचारों को सांख्य दर्शन से ग्रहण किया.

(24) जैन धर्म को मानने वाले राजा थे- उदायिन, वंदराजा, चंद्रगुप्त मौर्य, कलिंग नरेश खारवेल, राजा अमोघवर्ष, चंदेल शासक.

(25) मौर्योत्तर युग में मथुरा जैन धर्म का प्रसिद्ध केंद्र था.

(26) जैन तीर्थंकरों की जीवनी कल्पसुत्र में है.

(27) जैन तीर्थंकरों में संस्कृत का अच्छा विद्वान नयनचंद्र था.

(28 ) मथुरा कला का संबंध जैन धर्म से है.

(29) 72 साल में महावीर की मृत्यु 468 ई. पू. में बिहार राज्य के पावापुरी में हुई थी

(30) मल्लराजा सृस्तिपाल के राजप्रसाद में महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ था


important facts 



1-जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव माने जाते हैं।  


2-महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे।



3-पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे।



4-महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के निकट कुण्डलग्राम में हुआ था।



5-उनकी माता का नाम त्रिशला था जो लिच्छवि गणराज्य के प्रमुख चेटक की बहन थी। तथा पिता नाम सिद्धार्थ था जो ज्ञातृक क्षत्रियों के संघ के प्रधान थे।



6-महावीर स्वामी को 72 वर्ष की आयु में पावापुरी नामक स्थान पर निर्वाण प्राप्त हुआ।



7-जैन धर्म में पूर्ण ज्ञान प्राप्त होने की अवस्था के लिए "कैवल्य" शब्द का प्रयोग किया गया है।



8-महावीर स्वामी को 12 वर्ष की कठोर तपस्या के पश्चात ज्रम्भिक ग्राम के समीप ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे कैवल्य प्राप्त हुआ। फलत वह केवलिन कहलाए।



9-जैन धर्म के अनुसार मोक्ष के लिए तीन साधन आवश्यक बताये गये हैं-सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र। इन तीनों को जैन धर्म में त्रिरत्न की संज्ञा दी गई है।



10-जैन धर्म में पंच महाव्रतों-सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अस्तेय एवं ब्रह्मचर्य की व्यवस्था की गई हैं।


11-अशोक तथा उसके पौत्र दशरथ के समय में बराबर तथा नागार्जुनी पहाड़ियों को काटकर आजीवकों के लिए आवास बनाये गये थे।






Q-अंग किसके ग्रन्थ हैं?
@-जैनों के


Q-प्रथम जैन संगीति कहाँ आयोजित की गई?
@-पाटलिपुत्र में


Q-निम्नलिखित में कौन सा शासक भद्रबाहु के समकालीन था?
a-मिनेण्डर        b-चन्द्रगुप्त मौर्य

c-गौतमीपुत्र शातकर्णी   d-रुद्रदामन

@-चन्द्रगुप्त मौर्य



Q-श्रवणबेलगोला क्या है?
@-जैन तीर्थ स्थल


Q-चन्द्रगुप्त मौर्य तथा खारवेल दोनों----
@-जैन धर्म के अनुयायी थे।


Q-जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म दोनों के बारे में कौन सा कथन गलत है?
a-दोनों कर्म में विश्वास करते हैं।
b-दोनों का प्रसार विदेशों में हुआ।
c-दोनों का विभाजन हुआ।
d-दोनों की हिन्दू धर्म के साथ समानताएं हैं।


@-दोनों का प्रसार विदेशों में हुआ कथन गलत है, क्योंकि जैन धर्म केवल भारतीय क्षेत्र में ही सीमित रहा जबकि बौद्ध धर्म का प्रसार विदेशों में भी हुआ।


Q-किस धार्मिक सम्प्रदाय की पूजा पद्धति में मदिरा और स्त्री का महत्वपूर्ण स्थान है?
@-कापालिक सम्प्रदाय


Q-संसार से मुक्ति प्राप्त हो जाने की अवस्था को जैन धर्म में क्या कहा गया?
@-निर्वाण



Q-जैन आचार्यों को क्या कहा गया?
@-तीर्थंकर



Q-महावीर स्वामी के बचपन का नाम क्या था?
@-वर्धमान



Q-हिन्दू धर्म व जैन धर्म निम्नलिखित में से किस कारण पर भिन्न हैं?
a-पुनर्जन्म      b-आस्तिकता
c-कर्म सिद्धान्त       d-अहिंसा


@-आस्तिकता


Q-श्वेताम्बर और दिगम्बर सम्प्रदाय में प्रमुख अन्तर है---
@-अनुशासन और कठोर जीवन



Q-जैन मूर्ति पूजा का प्राचीनतम प्रामाणिक  अभिलेख कहाँ मिलता है?
@-हाथीगुम्फा लेख में



Q-महावीर स्वामी को किस स्थान पर ज्ञान प्राप्त हुआ?
@-ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे।



Q-जैन "आगम ग्रंथ" कहा संकलित हुए?
@-वल्लभी में



Q-किस जैन तीर्थंकर का प्रतीक चिन्ह सर्पफण है?
@-पार्श्वनाथ का



Q-जैन धर्म में संवर का अभिप्राय है---
@-एक ऐसी अवस्था जब नये कर्मों का प्रवाह रुक जाता है।



Q-जैन धर्म के अनुसार जब जीव में सभी कर्मों का विनाश हो जाता है तो उस अवस्था को क्या कहते हैं?
@-निर्जरा



Q-चन्द्रगुप्त मौर्य किस जैन सन्त के साथ दक्षिण भारत गये थे?
@-भद्रबाहु के साथ



Q-किस जैन ग्रन्थ में जैन तीर्थंकरों के जीवन-चरित्र तथा उनका नाम मिलता है?
@-भगवती सूत्र में



Q-दूसरी जैन सभा कहाँ आयोजित हुई थी?
@-वल्लभी में



Q-जैन आगम ग्रन्थ किस भाषा में लिखे गए?
@-मागधि में







1. निम्नलिखित में से किस वंश में अभिनंदननाथ तीर्थंकर का जन्म हुआ था?
A. इक्ष्वाकु वंश
B. नंद वंश
C. गुलाम वंश
D. दुगुवा वंश
Ans: A
Explanation: अभिनंदननाथ तीर्थंकर का जन्म इक्ष्वाकु वंश में माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय को हुआ था। इसलिए, A सही विकल्प है।
2. निम्नलिखित में किस नक्षत्र (नक्षत्र) में अभिनंदननाथ तीर्थंकर का जन्म हुआ था?
A. शतभिषा नक्षत्र
B. धनिष्ठा नक्षत्र
C. श्रवण नक्षत्र
D. पुनर्वसु नक्षत्र
Ans: D
Explanation: अभिनंदननाथ तीर्थंकर का जन्म इक्ष्वाकु वंश में माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय में पुनर्वसु नक्षत्र को हुआ था। इनको 'अभिनन्दन स्वामी' के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए, D सही विकल्प है।
3. अभिनंदननाथ तीर्थंकर की माता का नाम क्या था?
A. विजया
B. तारा
C. सिद्धार्थ देवी
D. मरुदेवी
Ans: C
Explanation: अभिनंदननाथ तीर्थंकर का जन्म अयोध्या के राजपरिवार में हुआ था तथा उनकी माता का नाम सिद्धार्था देवी और पिता का नाम राजा संवर था। इसलिए, C सही विकल्प है।
4. अभिनंदननाथ तीर्थंकर के पहले गांधार का नाम क्या था?
A. वज्रनाथ
B. विपुल
C. चन्द्र प्रभु
D. वासु
Ans: A
Explanation: अभिनंदन जी वर्तमान अवसर्पिणी कल के चतुर्थ तीर्थंकर है और इनके पहले गांधार का नाम वज्रनाथ था। इसलिए, A सही विकल्प है।
5. अभिनन्दनाथ तीर्थंकर ने दीक्षा प्राप्त करने के कितने दिनों के बाद पहला परनाला शुरू किया था?
A. एक
B. दो
C. तीन
D. चार
Ans: B
Explanation: अभिनन्दननाथ तीर्थंकर के समोशरण में सोलह हजार केवली थे। इन्होने दीक्षा प्राप्त करने के दो दिनों के बाद पहला परनाला शुरू किया था। इसलिए, A सही विकल्प है।

6. अभिनंदनाथ तीर्थंकर ने दीक्षा प्राप्त होने के बाद निम्नलिखित में किस भोजन के सेवन के बाद पहला परनाला शुरू किया था?
A. दूध
B. खीर
C. पानी
D. दही
Ans: B
Explanation: अभिनंदनाथ तीर्थंकर ने दीक्षा प्राप्त होने के बाद खीर का सेवन करके पहला परनाला शुरू किया था। इसलिए, B सही विकल्प है।
7. अभिनन्दनाथ तीर्थंकर के धर्म परिवार में कितने गणधर थे?
A. 112
B. 114
C. 116
D. 118
Ans: C
Explanation: अभिनन्दननाथ तीर्थंकर के समोशरण में 16000 केवली थे तथा धर्म परिवार में 116 गणधर थे। इसलिए, C सही विकल्प है। 
8. दीक्षा प्राप्त होने के बादकिस वृक्ष के नीचे अभिनंदननाथ तीर्थंकर ने कैवल्य ज्ञान (आत्मज्ञान) प्राप्त किया था?
A. नीम
B. देवदार
C. वट
D. प्रियांगु
Ans: D
Explanation: जैन मान्यताओं के अनुसार,अभिनंदननाथ तीर्थंकर ने प्रियांगु वृक्ष के नीचे केवला ज्ञान प्राप्त किया था। इसलिए, D सही विकल्प है। 
9. अभयानंदनाथ तीर्थंकर द्वारा प्राप्त कैवल्य ज्ञान (ज्ञान) का क्या अर्थ है?
A. शास्त्र ज्ञान
B. संगीत शिक्षा
C. नर्त्य शिक्षा
D. ब्रह्म विद्या
Ans: D
Explanation: जैन पुराणों के अनुसार माघ मास की शुक्ल द्वादशी को अभिनन्दननाथ तीर्थंकर को दीक्षा प्राप्त हुई थी। इसके बाद उन्होंने कठोर तप किया जिसके परिणामस्वरूप पौष शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। कैवल्य ज्ञान का शाब्दिक अर्थ होता है अहंकार, प्रारब्ध, कर्म और संस्कार के लोप हो जाने से आत्मा के चितस्वरूप होकर आवागमन से मुक्त हो जाने की स्थिति मतलब ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति होना। इसलिए, D सही विकल्प है।
10. अभिनंदननाथ तीर्थंकर ने किस स्थान पर निर्वाण प्राप्त किया था?
A. सम्मेद शिखर
B. श्री केसरियाजी तीर्थ
C. पारसनाथ
D. सारनाथ
Ans: A
Explanation: जैन पुराण के अनुसार, अभिनंदननाथ तीर्थंकर ने सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त किया था। इसलिए, A सही विकल्प है।


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