गोवा भारत का हिस्सा कैसे बना



गोवा भारत का हिस्सा कैसे बना?


गोवा क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सबसे छोटा राज्य है। पूरी दुनिया में गोवा अपने खूबसूरत समुंदर के किनारों और मशहूर स्थापत्य के लिये जाना जाता है। इस लेख में हमने बताया है की कैसे 450 सालों के पुर्तगाली उपनिवेश को 19 दिसंबर 1961 में भारत ने विजय नामक सैन्य ऑपरेशन का संचालन करते हुए गोवा को भारतीय संघ में विलय करा दिया था।

क्या आप जानते हैं कि वर्ष 1961 से पूर्व गोवा भारत का हिस्सा नहीं था।  

गोवा कब भारत का भाग बना।
जैसा की हम जानते हैं, भारत 1947 में आज़ाद हुआ था और आज का “एक” भारत पंडित नेहरु और सरदार पटेल के अथक प्रयासों के कारण ही एक हुआ था जो आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरा हुआ था। वो सरदार पटेल ही थे जिनकी भू-राजनीतिक सूझ-बुझ के कारण छोटी-बड़ी 562 रियासतों को भारतीय संघ में समाहित कर दिया था। यही कारण है सरदार पटेल को “भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष” भी कहा जाता है। लेकिन कुछ ऐसे भी प्रांत थे जहाँ उपनिवेशी जड़े इस कदर गहरी थी की आजादी के बहुत सालो तक वो प्रांत भारत का हिस्सा नहीं थे उसमे से एक था गोवा, जहाँ पुर्तगालियों का लगभग 450 सालों से शासन था।
गोवा भारत का हिस्सा कैसे बना?


जब 1947 में भारत को आज़ादी मिल गयी थी तब भी यहाँ पर पुर्तगालियों का ही राज्य स्थापित था। भारत सरकार के बार–बार अनुरोध करने पर भी पुर्तगाली यहाँ से जाने को तैयार नहीं थे। इस साम्राज्य के खिलाफ 1955 में सत्याग्रह भी हुआ पर पुर्तगालियों ने क्रूरता दिखाते हुए 22 लोगो को अपनी बंदूक का निशाना बना दिया था।

उस समय तात्कालिक प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 19 दिसंबर 1961 में विजय नामक सैन्य ऑपरेशन का संचालन करते हुए गोवा को भारतीय संघ में विलय करा दिया था। पुर्तगाल के गवर्नर जनरल वसालो इ सिल्वा ने भारतीय सेना प्रमुख पीएन थापर के सामने सरेंडर कर दिया था।
 इतिहासकारों की माने तो, बताया जाता है कि विजय नामक सैन्य ऑपरेशन 36 घंटे से भी ज्यादा समय तक चले और फिर 19 दिसंबर 1961 को भारत ने गोवा को आजाद करा लिया था। फिर बाद में पुर्तगाली सेना ने बिना किसी शर्त के 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया और इस तरह गोवा आजाद हो गया। 30 मई 1987 को गोवा को भारतीय राज्‍य का दर्जा मिला 

लेकिन 'गोवा मुक्ति दिवस' प्रति वर्ष '19 दिसम्बर' को मनाया जाता है।
गोवा अपने छोटे आकार के बावजूद शुरू से ही बड़ा ट्रेड सेंटर रहा है। अपनी लोकेशन की वजह से यह अंग्रेजों को शुरू से ही आकर्षित करता रहा है। इतना ही नहीं मुगल शासन के समय भी राजा इस तरफ आकर्षित होते रहे हैं।


भारत आने वाले पहले और छोड़ने वाले यूरोपीय शासक
आपको बता दें कि पुर्तगाली भारत आने वाले पहले (1510) और यहां उपनिवेश छोड़ने वाले आखिरी (1961) यूरोपीय शासक थे। गोवा में उनका 451 साल तक शासन रहा जो अंग्रेजों से काफी अलग था। पुर्तगाल ने गोवा को ‘वाइस किंगडम’ का दर्जा दिया था और यहां के नागरिकों को ठीक वैसे ही अधिकार हासिल थे जैसे पुर्तगाल में वहां के निवासियों को मिलते हैं। उच्च तबके के हिंदू और ईसाइयों के साथ-साथ दूसरे धनी वर्ग के लोगों को कुछ विशेषाधिकार भी थे। जो लोग संपत्ति कर देते थे उन्हें 19वीं शताब्दी के मध्य में यह अधिकार भी मिल गया था कि वे पुर्तगाली संसद में गोवा का प्रतिनिधि चुनने के लिए मत डाल सकें।



Comments